Diwali 2020: धनतेरस पर मां लक्ष्मी की मूर्ति का चयन और पूजा करते समय क्या करें क्या न करें

हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। पांच दिनों तक चलने वाला यह उत्सव धनतेरस से शुरू होकर भैयादूज पर खत्म होता है। सुख सौभाग्य की कामना से इस दिन धन-वैभव, ऐश्वर्य की देवी मा लक्ष्मी और रिद्धि-सिद्धि के प्रदाता श्री गणेश जी का पूजन अन्य देवी-देवताओं सहित किया जाता है। घर या कार्यस्थल पर धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहे,पूजा-पाठ का पूर्ण लाभ मिल सके इसके लिए आवश्यक है कि श्रद्धा भक्ति के साथ हम सब दीपावली पूजन सच्चे मन से करने साथ ही वास्तु नियमों को ध्यान में रखकर सही तरीके से भी पूजा-आराधना करें। आइए जानते हैं दीपावली पर लक्ष्मीजी की पूजा के साथ अन्य देवी-देवताओं की पूजा किन दिशाओं में करना शुभ होता है -

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दिशा से सम्बंधित देवी-देवता
  • उत्तर दिशा को वास्तु में धन की दिशा माना गया है इसलिए दीपावली पर यह जोन यक्ष साधना, लक्ष्मी पूजन और गणेश पूजन के लिए आदर्श स्थान है।
  • आरोग्य की उत्तर-उत्तर-पूर्व दिशा में भगवान धनवंतरि,अश्विनी कुमार एवं नदियों की आराधना करने से उत्तम स्वास्थ्य एवं सुख की प्राप्ति होती है।
  • देवी मां और हनुमानजी की पूजा दक्षिण दिशा में, उत्तर-पूर्व दिशा में शिव परिवार,राधा-कृष्ण और पूर्व दिशा में, श्री राम दरबार, भगवान विष्णु की आराधना एवं सूर्य उपासना करने से परिवार में सौभाग्य की वृद्धि होती है।
  • शिक्षा की दिशा पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम में विद्यादायिनी माँ सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान में वृद्धि होती है।
  • पश्चिम दिशा में गुरु,महावीर स्वामी,भगवान बुद्ध की पूजा शुभ फल प्रदान करती है।
  • संबंधों और जुड़ाव की दिशा दक्षिण-पश्चिम में पूर्वजों की पूजा सुख-समृद्धि प्रदान करेगी।कैसी होनी चाहिए मां लक्ष्मी की प्रतिमा
    लक्ष्मीजी का वह चित्र लाकर पूजा करें जिसमें वे उनके एक ओर श्रीगणेश और दूसरी ओर सरस्वती मां विराजमान हो तथा माता लक्ष्मी दोनों हाथों से धन बरसा रही हों, धन प्राप्ति के लिए इस तरह का चित्र लगाना बहुत शुभ होता है। यदि बैठी हुई  देवी लक्ष्मी का चित्र ला रहे हैं तो लक्ष्मी मां का वह चित्र लेकर आएं, जिसमें  लक्ष्मीजी लाल वस्त्र पहनकर कमल के आसन पर बैठी हुई हों।मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और गणेशजी इनके दोनों तरफ हाथी अपनी सूंड को उठाए हुए हों। इस तरह के चित्र का पूजन करने से मां लक्ष्मी सदैव आपके घर में विराजमान रहेंगी। ध्यान रहे कि चित्र में माता लक्ष्मी के पैर दिखाई नहीं देते हों अन्यथा लक्ष्मी घर में लंबे समय तक नहीं टिकती। इसलिए कमल पर प्रसन्न मुद्रा में  बैठी हुई लक्ष्मी को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यदि चित्र में मां लक्ष्मी के साथ ऐरावत हाथी भी है, तो वह अद्भुत और शुभ फलों को प्रदान करेगा। भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी के चित्र हो तो आप उसकी पूजा भी कर सकते हैं। श्री हरि को आमंत्रित करके मां लक्ष्मी को घर में विराजित किया जाता है। भगवान विष्णु के साथ घर में पधारने वाली मां लक्ष्मी गरुड़ वाहन पर आती हैं, जिसे बहुत शुभ माना गया है।
     भूलकर भी न लगाएं मां लक्ष्मी की ऐसी प्रतिमा
    •  जिस तस्वीर में अकेली लक्ष्मी हो ऐसा चित्र पूजा हेतु दीपावली के दिन नहीं लगाएं। धर्म ग्रंथों के अनुसार अकेली लक्ष्मी मां के चित्र का पूजन करने की अपेक्षा गणेश व सरस्वती के साथ उनका पूजन अति कल्याणकारी होता है।
    •  ध्यान रहे दीपावली पूजन में मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां अथवा चित्र आदि छवियां नई हों। चांदी की मूर्तियों को साफ करके पुनः पूजा के काम में लिया जा सकता है। कभी भी खंडित और फटे हुए चित्रण की पूजा न करें। 

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