विश्व विद्यार्थी दिवस

विश्व विद्यार्थी दिवस

सन् 2010 में संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर के दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति अवुल पाकिर जैनअब्दुलीन अब्दुल कलाम (डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम) के जन्म दिवस के दिन मनाने की घोषणा की, यह फैसला उनके द्वारा विज्ञान और तकनीक में गये योगदान को देखते हुए लिया गया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक वैज्ञानिक तथा राजनेता होने के साथ ही एक उम्दा शिक्षक भी थे। यहीं कारण था कि अपने भाषणों द्वारा उन्होंने लाखो छात्रों प्रभावित किया।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभी विद्यार्थियों के लिए एक आदर्श थे, तमिलानाडु के एक छोटे से गाँव से होते हुए भी वह अपने मेहनत और लगन के बलबूते पर देश के सबसे उंचे संवैधानिक पद पर पहुंचे। उनके इन्हीं उपलब्धियों के कारण उनके जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की गई है।

विश्व छात्र दिवस 2020 (World Students' Day)

विश्व विद्यार्थी दिवस 15 अक्टूबर के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष सन् 2020 में विश्व विद्यार्थी दिवस 15 अक्टूबर, गुरुवार के दिन मनाया जायेगा।

विश्व विद्यार्थी दिवस 2018 विशेष

विश्व विद्यार्थी दिवस की घोषणा सोमवार 15 अक्टूबर 2018 के दिन की गई थी। सभी राजनैतिक पार्टियों के हर उम्र के नेताओं ने भारत के इस सबसे महान नेता भावभीनी श्रद्धांजलि प्रदान की। इस दौरान उनके सम्मान में स्कूल और कालेजों में कई सारे कार्यक्रम भी आयोजित किये गये। उन्हें याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम एक शिक्षक, अच्छे प्रेरक और एक उम्दा वैज्ञानिक थे, जोकि हर एक भारतीय के हृदय में बसते हैं।

विश्व विद्यार्थी दिवस क्यों मनाया जाता है?

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सभी वर्गों और जाति के छात्रों के लिए एक प्रेरक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाते थे। एक छात्र के रुप में उनका खुद का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण था और अपने जीवन में उन्होंने कई तरह के कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना किया। इसके अलावा अपने बचपन में वह अपने परिवार और खुद के भरण-पोषण के लिए, वह दरवाजे-दरवाजे जाकर अखबार भी बेचा करते थे।

लेकिन अपनी पढ़ाई के प्रति अपनी दृढ़-इच्छा शक्ति के कारण वह अपने जीवन में हर तरह की बाधाओं को पार करने में सफल रहे और अपने जीवन में हर चुनौती को पार करते हुए, राष्ट्रपति जैसे भारत के सबसे बड़े संवैधानिक को प्राप्त किया। यह उनके जीवन की ऐसी कहानी है, जो उनके साथ-साथ भारत के आने वाले कई पीढ़ीयों को प्रेरित करने का कार्य करेगी।

अपने वैज्ञानिक और राजनैकित जीवन के दौरान भी डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने खुद को एक शिक्षक ही माना और छात्रों को संबोधित करना ही उनका सबसे प्रिय कार्य था। फिर चाहे वह किसी गांव के छात्र हों या फिर किसी बड़े कालेज या विश्वविद्यालय के छात्र हों। शिक्षण के प्रति उनका कुछ ऐसा रुझान था कि एक समय उन्होंने अपने जीवन में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के जैसा कैबिनेट श्रेणी का पद छोड़कर एक शिक्षक का पद चुन लिया।

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