23 मार्च 1931 को अमर शहीद सरदार भगत सिंह, सुखदेव औरराजगुरु को फांसी दी गयी थी।देश के क्रांतिकारियों को नमन!भारतमाता की जय! इंकलाब-जिंदाबाद!!
आज़ादी के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले वीरो, महान क्रांतिकारियो शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद दिवस पर शत शत नमन। आप सभी का अमर बलिदान हम सभी को सदैव राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा। ऐसे गौरवशाली समर्पण और संघर्ष से आप सभी को #HeroesOfIndia कहा जाता है। जन्म-दिन पर
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लोहिया :लोहे का आदमी
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नरेंद्र नीरव जी के वाल से आभार ✍️
लोहे का आदमी बर्फ सा पिघलता है
गंगा की लहरों पर नाव से लहरता है
मणिकर्णिका के महाश्मशान पर व्यथित
पूछता है नाविक से-कुछ लाशें तेज और कुछ लाशें
धीरे-धीरे क्यों जल रही हैं?
उत्तर मिला-
अमीर की लाश प्रचुर घी-लकड़ी से प्रज्जवलित हैं
गरीब की लाश गरीबी के कारण धीरे-धीरे सुलग रही है।
लोहे का आदमी मोम सा गलता है
लिखता है अपना इच्छापत्र-
मेरी लाश उस मसान में जाये
जहां दिल्ली म्युनिस्पैलिटी लावारिश लाशें जलाती है।
विश्व-परिवार का स्वप्नद्रष्टा कहता है-
मेरा राष्ट्र सर्वोपरि।
'ए भारतमाता! मुझे शिव का मस्तिष्क दो,
कृष्ण का हृदय दो और
राम की मर्यादा से मेरे जीवन को रचो'।
लोहे का दिल
हिमालय की तरह अड़ा और
इतिहास-चक्र शर्म की घुटन को तोड़ कर
बढ़ा परिवर्तन के पथपर।
लोहे का मन अदहन- सा उबलता है
वह आदिवासी की गगरी में हाथ डाल कर टटोलता है
चाउर कितने पाव बचा है और
भूखे कितने लोग हैं?बोलता है।
लोहे का आदमी कितना निरुपाय है
रसोईघर के चूल्हे का धुंआं
शौच के लिये व्याकुल स्त्री -अंधेरे का इंतजार
इस दासता से मुक्ति का क्या उपाय है?
लोहिया!
वर्तमान तुम्हें सुन रहा है,
भविष्य तुम्हारा ही पथ चुन रहा है।
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23 मार्च 1931 को अमर शहीद सरदार भगत सिंह, सुखदेव और
राजगुरु को फांसी दी गयी थी।देश के क्रांतिकारियों को नमन!
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